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15:01, 19 दिसम्बर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राग तेलंग
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>जब
कागज़ नहीं था
लिखा करते थे
अपनी आवाज़
पेड़ों के
पत्तों पर
आज
हर पन्ने में से
कटे जंगलों की
चीख सुनाई देती हैं .
</poem>
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