Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शैलजा पाठक |अनुवादक= |संग्रह=मैं ए...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=शैलजा पाठक
|अनुवादक=
|संग्रह=मैं एक देह हूँ, फिर देहरी
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>मैं जब भी लिखूंगी प्रेम
अपने हिस्से का Œप्यार लिखूंगी
तुम्हारे लिए दुआ
आसमान के लिए परिंदा
नदी के लिए नाव
तुम्हारा मुस्कराता सा गांव
लिखूंगी एक प्रेमगीत
कागज़ में छुप कर तुम्हें मीत
दूब पर ओस भर चमक
अपने सांसों की धमक
तुम्हारे चुप में खो जाऊंगी
पल भर को ही सही रेत का ƒघर बनाऊंगी
एक लाल चुनरी में जड़ भी दूंगी सितारे
आसमान सी लहराऊंगी
सुनो! ƒघर का पिछला दरवाज़ा खुला रखना
चांदनी की डोर थामे आऊंगी
मैं जब भी लिखूंगी प्रेम
खाली सांस में धड़क जाना तुम
मैं रेत-रेत हो जाऊंगी।</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits