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कमाल की औरतें ३ / शैलजा पाठक
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09:22, 21 दिसम्बर 2015
|रचनाकार=शैलजा पाठक
|अनुवादक=
|संग्रह=
मैं एक देह हूँ, फिर देहरी / शैलजा पाठक
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<poem>ये तहों में रखती हैं अपनी कहानियां
कभी झटक देती हैं धूप की ओर
Anupama Pathak
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