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|रचनाकार=शैलजा पाठक
|अनुवादक=
|संग्रह=मैं एक देह हूँ, फिर देहरी/ शैलजा पाठक
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मैं बंध जाती हूं मैं बंधना चाहती हूं तुमसे
तुम मुक्त रहो सभी ब‹धनों बंधनों से।</poem>
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