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अच्छा होगा / कमलेश द्विवेदी

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<poem>फिक्र करें क्यों-कल क्या होगा.
सब उसकी मर्जी का होगा.

वो अन्याय नहीं करता है,
जो भी होगा,अच्छा होगा.

तेरे साथ हँसे-रोये वो,
तुझसे कुछ तो रिश्ता होगा.

वो हर बात सुनेगा लेकिन,
सच्चे दिल से कहना होगा.

खुश हो या नाराज रहे पर.
जो अपना है,अपना होगा.

उसका तो अंदाज अलग है,
जो बोलेगा,चर्चा होगा.

बेटी को आने दो जग में,
बिन बेटी क्या बेटा होगा?

हमको वो मिल ही जायेगा,
जो भी हमको मिलना होगा.
</poem>
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