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19:12, 24 दिसम्बर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कमलेश द्विवेदी
|अनुवादक=
|संग्रह=
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{{KKCatGhazal}}
<poem>मेरा-उसका रिश्ता है क्या.
कोई इसको समझा है क्या.
मुझसे तो बस इतना पूछो-
कोई उससे अच्छा है क्या.
जिससे-जिससे हम मिलते हैं,
उन सबसे दिल मिलता है क्या.
देखो उसकी आँखें देखो,
सागर उनसे गहरा है क्या.
तू इतना मुस्काता है क्यों,
तेरा भी दिल टूटा है क्या.
</poem>