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19:36, 24 दिसम्बर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कमलेश द्विवेदी
|अनुवादक=
|संग्रह=
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{{KKCatGhazal}}
<poem>किसी को भी अपनी निगाहों में रखना.
मगर याद मुझको दुआओं में रखना.
मुहब्बत का मतलब यही है अभी भी,
दिये को जलाकर हवाओं में रखना.
बरसना कहीं भी ओ बादल मगर जल,
ज़रा मेरी खातिर घटाओं में रखना.
बताओ कहाँ से ये सीखा है तुमने,
लुभाने का जादू अदाओं में रखना.
रिहाई कभी भी न हो पाये जिनसे,
मुझे प्यार की उन दफ़ाओं में रखना.
</poem>