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04:22, 25 दिसम्बर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कमलेश द्विवेदी
|अनुवादक=
|संग्रह=
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{{KKCatGhazal}}
<poem>कोई आये, आने दो.
कोई जाये, जाने दो.
हँसना अच्छा है लेकिन,
औरों को मुस्काने दो.
मेरे भावों को समझो,
फिर शब्दों को माने दो.
दरिया ने ही जोड़े हैं,
साहिल थे बेगाने दो.
तनहा पीना क्या पीना,
आओ हैं पैमाने दो.
पीकर जागा याराना,
पहले थे अनजाने दो.
घर रौशन हो जायेगा,
बस इक दीप जलाने दो.
सबको खुशबू बाँटेगा,
पर ग़ुल को खिल जाने दो.
"आई लव यू" कहते हो,
इन शब्दों को माने दो.
</poem>