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सफलता / प्रदीप मिश्र

810 bytes added, 10:50, 2 जनवरी 2016
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''' सफलता '''
सफल प्रेमी के पास
सबकुछ था
प्रेम नहीं
सफल संगीतकार के पास
सबकुछ था
संगीत नहीं
 
सफल नायक के पास
सबकुछ था
वे लोग नहीं
जिन्होंने बनाया था
उसे नायक
 
सफल राज़नीतिज्ञ के पास
सबकुछ था
नीति नहीं
 
केकड़े की संतान और सफलता
के बीच एक जुगलबंदी है
जिसके स्वर में जड़ें नहीं है
एक आकाश है जिसका रंग सफेद पड़ चुका है।
</poem>
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