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|रचनाकार=प्रदीप मिश्र
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}}
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<poem>
''' दीपक-एक '''
मिट्टी धरती से
कपास खेतों से
तेल श्रमिकों से
और आग सूर्य से ली उधार
मनुष्यों ने बनाया दीपक
जिसके जलते ही
घोर अंधकार में भी
जगमगाने लगी पृथ्वी
लो हो गयी दिवाली।
</poem>