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|रचनाकार=प्रदीप मिश्र
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<poem>
''' दीपक-तीन '''
उसने अपनी स्लेट पर लिखा - अ
लपलपायी दीपक की लौ
उसने अपनी स्लेट पर लिखा - ज्ञ
और दीपक इतमीनान से बुझ गया
क्योंकि उसकी आग
बच्चे के दिल में पहुँच गयी थी
अब बच्चा देख सकता था
अँधेरे में भी सबकुछ साफ़-साफ़ ।
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