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हर गली कूचे में रोने की सदा मेरी है / फ़रहत एहसास
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05:36, 3 जनवरी 2016
ये जो तनहाई बरसती है सज़ा है मेरी है
मैं
ने
न
चाहूँ तो न खिल पाए कहीं एक भी फूल
बाग़ तेरा है मगर बाद-ए-सबा मेरी है
Anupama Pathak
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