590 bytes added,
13:03, 22 जनवरी 2016 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=देवकी दर्पण ‘रसराज’
|संग्रह= मंडाण / नीरज दइया
}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
ईं जमाना में
गरीब
गरीब को ही
भाईलो बण्यां
पार पड़ै छै
क्यूंकै
बडा आदमी को भाइलो
अस्यां लागै छै
जस्यां
सरस्यूं के साथ में
कचेट लाग छै
राइलो।
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader