472 bytes added,
13:06, 22 जनवरी 2016 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मोहन सोनी ‘चक्र’
|संग्रह= मंडाण / नीरज दइया
}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
अरथ वास्तै
सबद हेरां मोकळा
अर अबै म्हारै साम्हीं
अबखायी आ है
कै सबद री तो है बोळगत
पण अरथ रो टोटो।
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader