गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
मुरली राजत अधर पर / प्रेमघन
791 bytes added
,
07:32, 30 जनवरी 2016
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रेमघन |संग्रह=युगमंगलस्तोत्र /...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=प्रेमघन
|संग्रह=युगमंगलस्तोत्र / बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
मुरली राजत अधर पर उर विलसत बनमाल।
आय सोई मो मन बसौ सदा रंगीले लाल॥
सीस मुकुट कर मैं लकुट कटि तट पट है पीत।
जमुना तीर तमाल तर गो लै गावत गीत॥
वृज सुकुमार कुमारिका कालिन्दी के तीर।
गल बाँही दीन्हे दोऊ हँसत हरत भवपीर॥
</poem>
Dkspoet
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits