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मंगलाचरण - 1 / प्रेमघन

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|रचनाकार=बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
|संग्रह=प्रेम पीयूष / बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
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<poem>
लसत सुरँग सारी हिये हीरक हार अमन्द।
जय जय रानी राधिका सह माधव बृजचन्द॥
नवल भामिनी दामिनी सहित सदा घनस्याम।
बरसि प्रेम पानीय हिय हरित करो अभिराम॥
यह पियूष वर्षा सरस लहि सुभ कृपा तदीय।
साँचहुँ सन्तोषैं रसिक चातक कुल कमनीय॥
</poem>
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