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12:35, 30 जनवरी 2016 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
|संग्रह=प्रेम पीयूष / बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
}}
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<poem>
पान सन्मान सों करैं बिनोद बिन्दु हरैं,
::तृपा निज तऊ लागी चाह जिय जाकी है।
जाचैं चारु चातक चतुर नित जाहि देति,
::जौन खल नरनि जरनि जवासा की है॥
प्रेमघन प्रेमी हिय पुहमी हरित कारी,
::ताप रुचिहारी कलुषित कविता की है।
सुखदाई रसिक सिखीन एक रस से,
::सरस बरसनि या पियूष वर्षा की है॥
</poem>
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