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प्रार्थना - 14 / प्रेमघन

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कुछ कठिनाई की कहौ तो कैन कौन समता है,
::करद कटाछन की काट किहि तौर है।
मृदु मुसुक्यानि की मजा औ माधुरी अधर,
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