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11:00, 22 मार्च 2016 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= कुँवर दिनेश
}}
[[Category:हाइकु]]
<poem>
1
शब्दों की फाट
संबंधों के खेत में
मन उचाट ।
2
शब्द हैं सही
अर्थ बदल रहे
शब्दों की कही ।
3
शब्द है वही
अर्थ बना रहे हैं
दूध का दही।
4
शब्द भी थके
मन को मनाने में
जीत ना सके।
5
शब्द गलत!
अर्थ भी सारे हुए
क्षत– विक्षत।
-0-
</poem>