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16:00, 25 मार्च 2016 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=सुधीर सक्सेना
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<poem>
जो बीकानेर नहीं भी गए
वो जानते हैं बीकानेर को
बाजार के रास्ते
बीकानेर का बाजार में बखूब हस्तक्षेप है
बाजार में बीकानेर के पकवानों की खेप है
बीकानेर के नमकीन हैं, मिष्ठान हैं
बहिरागतों के वास्ते नवान्न है
रोज अलसुबह
सोंधी महक के साथ जागता है बीकानेर
और तो और
बीकानेर के लिए
बीकानेर की पहचान है
बीकानेर का आस्वाद
</poem>