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12:29, 30 अप्रैल 2016 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=मंगत बादल
|संग्रह=
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<poem>
आओ सा ! बात करां !
शह देवां !मात करां !
कीं तो सरणाटो टूटैलो,
कीं तो रात कटैली ।
बातां मांय सूं बात निकळसी,
कीं तो बात बणैली ।
क्यूं निसासु हुवां, बध आगै,
दो- दो हाथ करां ।
थां री, मेरी, वां री,सब री
अेक ई राम -कहाणी ।
मूंडो तकै अेक दूजै रो,
और नीं आणी-जाणी ।
पकड़ हाथ में हाथ,
अेक दूजै रो साथ करां ।
मूंडो सीम ना बैठ बावळा,
हियै ताकड़ी तोल ।
आ जबान जद खुलै,
तो बणै सबद-सबद अणमोल ।
बड़ा बोल नीं बोलां पण,
जितरी औकात करां ।
</poem>