Changes

मामा / अमरेन्द्र

630 bytes added, 05:17, 14 मई 2016
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>
पेट बराबर फुललोॅ गालजंगल-झाड़-पतार-कदीमा-कद्दू-आलूजत्तेॅ नै छै मामा चलै दुलत्ती चालओत्तेॅ मामी चालूझापड़ोॅ माथोॅ बढ़लोॅ चूलअगरो-बगरो, कौआ-मैना, पिपरी-खटमल-खोटाजैमें पाँच पसेरी धूलदूध किनै लेॅ मामा गेलै भूली ऐलै लोटापढ़ैहाथी-लिखै में अजगुत खेलगीदड़-भैंसा-चीता-केला-खरबुज-भुट्टानौमी में नौ दाफी फेलभैंस कहीं तेॅ छोड़ै मामा, लै आनै छै खुट्टारौदिये में घूमै अड़गड़ मारै, बड़गड़ मारै, मारै कुत्ता.बकरीखाय सें पहिलें यहेॅ हुवै छै मामाजाय छै ढकरीआलू-बालू-छर्री-लोहोॅ, नानी-नाना, दादाकोय परीक्षा हुवेॅ मामा कॉपी छोड़ै सादा भैगने केॅ धूनै देह बढ़ै लेॅ खाय छै मामाकिसमिस-कंद-पपीतातीन फिटोॅ सें बढ़थैं नै छै, दिन भर मारै घर में मूसोॅमाथा में भरलोॅ छै भूसोॅ नाँपै फीता
</poem>
Mover, Protect, Reupload, Uploader
6,574
edits