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संभरी केॅ रहिय्हौ / डोमन साहु 'समीर'
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05:10, 12 जून 2016
डेगे-डेग उगली रहलोॅ छै जहर रहिय्हौ सँभरी केॅ
साँपोॅ के बिख तेॅ भ$ाड़ला पर
भ$ड़ियो
झड़ियो
भी जाय पारै छै आदमी के बिख चढ़लोॅ जाय छै
उ$पर
ऊपर
रहिय्हौ सँभरी केॅ
मुश्किल नै छै चिन्हार होवोॅ छोटकासिनी छुपलो सब के
Rahul Shivay
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