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बूढ़ा हँसता है / शरद कोकास
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15:06, 1 जुलाई 2016
{{KKRachna
|रचनाकार=शरद कोकास
|संग्रह=
गुनगुनी धूप में बैठकर / शरद कोकास
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
झोपड़ी के बाहर
झोलंगी खाट पर पडा बूढ़ा
अपने और सूरज के बीच
उसके भीतर
सूरज उगने से पहले भी
सूरज उगने के बाद
भी ।
भी।
</poem>
Lalit Kumar
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