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बचपन / शरद कोकास

84 bytes added, 15:07, 1 जुलाई 2016
{{KKRachna
|रचनाकार=शरद कोकास
|संग्रह=गुनगुनी धूप में बैठकर / शरद कोकास
}}
{{KKCatKavita}}
लेकिन कभी भी
वह अपने सपनों में
राक्षस नहीं होता ।होता।
</poem>