Changes

<poem>
संकट में पड़लै हिन्दुस्तनमा
हो तुलसी के रामा
सिंह मृग पियै छेलै एक्के घाट पानी हो सकल खुशहाली छेलै तनियो नै बेमानी हो जग में देल्हौ समता के दर्शनमा हो तुलसी के रामा
धरमोॅ के राज गेलै, पापोॅ के राज ऐलै
भष्टाचार घूसखोरी भारतोॅ में बढ़ी गेलै
केना होतै भारत के निरमनमा
हो तुलसी के रामा
धोबी के कहला पर सीता केॅ त्यागी देल्हौ
पितृ वचन खातिर राजपाट छोड़ी देल्हौ
तनियो नै सुख पर देल्हौ धियनमा
हो तुलसी के रामा
जनम लै केॅ फेरु भगवान भारत में आबोॅ हो सिंहासन लेॅ झगड़ा केॅ तोहीं मिटाबोॅ हो ब्याकुल छै ‘विमल’ के परनामा हो तुलसी।तुलसी के रामा
</poem>
Mover, Protect, Reupload, Uploader
6,574
edits