गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
हिंडोल / शब्द प्रकाश / धरनीदास
20 bytes removed
,
18:16, 21 जुलाई 2016
पाँच सखी सँग भूलहिँ, सहज उक्त झंझकार।
अरध उरध झूँकि झलहि, गहु गहि अधर अधारा।
बिनु मुख मंगल गावहिँ,
<ref>
सखि
</ref>
बिनु दीपक उँजियार।
धरनी जन गुन गायो, पुलकित बारमबार।
जो जन चढेऊ हिंडोलवा,
<ref>
सखि
</ref>
वहुरि न उतरन हार॥1॥
173.
Sharda suman
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader,
प्रबंधक
35,131
edits