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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=अभि सुवेदी|अनुवादक=सुमन पोखरेल|संग्रह=}}{{KKCatNepaliRachna}}{{KKCatKavita}}<poem>लगता है
आज रात भर मेँ
सूरज को किसी ने कुरेद दिया ।
लेकिन
अभी खिलना बाकीँ है ।
 
 
</poem>
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