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11:00, 22 मार्च 2008 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अहमद फ़राज़
}}
[[Category:गज़ल]]
ज़िन्दगी से यही गिला है मुझे <br>
तू बहुत देर से मिला है मुझे<br><br>
हमसफ़र चाहिये हूज़ूम नहीं <br>
इक मुसाफ़िर भी काफ़िला है मुझे<br><br>
तू मोहब्बत से कोई चाल तो चल <br>
हार जाने का हौसला है मुझे<br><br>
लब कुशां हूं तो इस यकीन के साथ <br>
कत्ल होने का हौसला है मुझे<br><br>
दिल धडकता नहीं सुलगता है <br>
वो जो ख्वाहिश थी, आबला है मुझे<br><br>
कौन जाने कि चाहतो में फ़राज़ <br>
क्या गंवाया है क्या मिला है मुझे<br><br>