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तुम मृगनयनी / भगवतीचरण वर्मा
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14:08, 25 अगस्त 2006
तुम उल्लास भरी आई हो<br>
तुम
आई
आईं
उच्छ्वास भरी,<br>
तुम क्या जानो मेरे उर में<br>
कितने युग की प्यास भरी ।<br><br>
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घनश्याम चन्द्र गुप्त