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हल्दीघाटी / एकादश सर्ग / श्यामनारायण पाण्डेय
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05:08, 12 अगस्त 2016
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<poem>
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एकादश सर्ग: सगजग
'''
में जाग्रति पैदा कर दूँ¸
वह मन्त्र नहीं¸ वह तन्त्र नहीं।
कैसे वांछित कविता कर
दूं¸
दूँ¸
मेरी यह कलम स्वतन्त्र नहीं॥1॥
अपने उर की इच्छा भर
दूं¸
दूँ¸
ऐसा है कोई यन्त्र नहीं।
हलचल–सी मच जाये पर
Sharda suman
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