'''हमें बल दो, ''देशवासियो'',''' ''' हमें ज्योति दो, ''देशवासियो'',''' असली किताब में यूँ लिखा है। मैंने इसे '''देशवासियों''' कर दिया यानि '''यो''' पर बिंदी लगा दी। मुझे लगता है ऐसा करना ग़लत है क्योंकि शायद संबोधन विभक्ति में '''देशवासियो''' ही सही रूप हो।
कोश पर प्रदीप की कविता [[ऐ मेरे वतन के लोगो / प्रदीप]] के शीर्षक से है पर इसकी पहली सतर में ''लोगों'' लिखा हुआ है।
[[सदस्य वार्ता:Sumitkumar kataria|वार्ता]] --[[सदस्य:Sumitkumar kataria|Sumitkumar kataria]] १०:०४, ३१ मार्च २००८ (UTC)