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तुम्हारी हृदयरेखा / आरती मिश्रा
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22:50, 13 अगस्त 2016
कितनी घनी और गहरी रेखाओं का जाल बुना है
तुम्हारी हथेलियों में
छोटी
-
बड़ी महीन-महीन रेखाएँ
लगता है नन्हें बच्चे ने कोई
काग़ज़ गोद दिया हो
अनिल जनविजय
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