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{{KKCatGhazal}}
<poem>
 
हमने माना कि हम नहीं अच्छे
पर किसी पे सितम नहीं अच्छे I
छोड़िये ना ये बम , नहीं अच्छे I
आदमी तो ये 'दीप' , अच्छा है कम कमबखत के करम नहीं अच्छे I
</poem>