Changes

माँ / दिविक रमेश

20 bytes added, 19:10, 28 अप्रैल 2008
रोज़ सुबह, मुंहमुँह-अँधेरेअंधेरे
दूध बिलौने बिलोने से पहले
माँ
आराम से
सोता सोता।
::::तारीफ़ों में बँधीं बंधीं
::::माँ
::::जिसे मैंने कभी
::::सोते
::::नहीं देखा
जवान होने पर
एक प्रश्न घुमड़ आया है --
::::पिसती
पिसती::::चक्की थी
चक्की थी ::::या माँ   माँ?
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits