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माँ / दिविक रमेश
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{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=दिविक रमेश
|संग्रह=खुली आँखों में आकाश / दिविक रमेश
}}
रोज़ सुबह, मुँह-अंधेरे
-
::::
-
तारीफ़ों में बंधीं
::::माँ
::::सोते
::::नहीं देखा
।
Pratishtha
KKSahayogi,
प्रशासक
,
प्रबंधक
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