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बसंत प्रिया / मुरली चंद्राकर
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खार खार बगियागे परसा के फुल रे
तबले नई आये जोड़ी का होगे भूल रे ?
आमा मौरे महके नदिया कछार म
कारी कोयली कुहके आमा के डार म
टिहकी चिरैया के टिहकथे सुल रे
तबले नई आये जोड़ी का होगे भूल रे
मिरगिन मस्मोटी म खारखार दौड़गे
बूंद बूंद मधुरस के तार तार चुहके
जंगल मंगल झूले झुलना के झूल रे
तबले नई आये जोड़ी का होगे भूल रे
पाना पागी ल फेंक गुलमोहर झौरे
जी भर के आस धरे सेम्हर ह सौरे
सुसुवाके तन होगे काटा बबूल रे
तबले नई आये जोड़ी का होगे भूल रे
कंवला अऊ खोखमा के पाँखी छतरागे
कलमुहा भौरा के मन रतियागे
झुमरी तरैया म चढ़गे का चुल रे
तबले नई आये जोड़ी का होगे भूल रे
पानी पिरित रंग भंग घोरियागे
अबीर गुलाल के मती छरियागे
मोटियारी मेंहंदी माहौर माते धुल रे
तबले नई आये जोड़ी का होगे भूल रे
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