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17:13, 24 अक्टूबर 2016 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=मुरली चंद्राकर
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<poem>
ऐ छैला बाबू आतो आतो आना
ऐ छैला बाबू एती एती आना
छैला बाबू आते जाते रिबे मोर गाँव
डोंगरी के ओपार मौहारी भाठा हे
झुंझकुर मयारू मौहा छाव छाँव, छैला बाबू
छैला बाबू आते जाते रिबे मोर गाँव
मन के मिलैया उहा कतको मोट्यारी हे
दिल के देवैया उहा कतका दोसदारी हे
लहुट के आथे उलटो पांव पांव, छैला बाबू
छैला बाबू आते जाते रिबे मोर गाँव
कोनो कैथे राधा मोला कोनो कैथे रंगरेली
कोनो कहिथे बाधा मोला, कोनो कहिथे बेलबेलही
चेलिक मन लेथे रधिया नांव नांव, छैला बाबू
छैला बाबू आते जाते रिबे मोर गाँव
</poem>
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