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अंखमुंदा भागत हें / बुधराम यादव

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कहे भुलाइन कनिहा कोहनी
घुठुवा मुरूवा* माड़ी !पिसनही जतवा* ढेंकी* अऊमूसर धूसर कॉंड़ी*!पर्रा* बिजना* टुकना टुकनीपैली* काठा खाँड़ी !सेर पसेरी नादी* ठेकवा*दीया चुकलिया* चाँड़ी !
लीटर मीटर किलो म अब
जिनिस ह जमो नपावत हे!
बटलोही* बटुवा थरकुलिया*
कोपरा कोपरी हंडा!
किरगी-किरगा* पाला* पौली*अउ दरबा* सत खडा!बटकी मलिया* गहिरही*
हाथी पाँव कटोरा!
फूल कांस थारी म परसय
अउ का म बुता ओसरावंय!
चटनी बासी टठिया भर
बेरा ऊवत पोगरावंय*!
हंसिया कुदरी धरे हाथ
मुंड़ म डेकची भर पानी!
बिलकुल जनव परागे!
रसायन खातू के मारे
भुइंया जनव खरागे*!
अब तइहा कस बासमती न
महाभोग महावत* हें!
बावा भलुवा चितवा तेंदुवा
जबरन मारंय पीटंय लूटंय
जोरे जमो खजाना !
बेटा बेटी अगवा करके
सौंपंय फौजी बाना !
हमर घर भीतर घुसरके
हमरे मुड़ ल फाँकंय !
जेकर हाथ लगाम परोसी
कस दूरिहा ले झाकंय !
कांकेर बस्तर जगदलपुर का
सरगुजा दहलावत हें!
खाँटी दुसमन जानय!
कानून कायदा राज काज
हरके -बरजे* नइ मानय!
बिना दोष के मारंय पीटंय
लूटंय सकल उजारंय!
कारज जमो सुधारंय!
बिरथा मोह के मारे मुरूख
बस दुरमत* बगरावत हें!
कतको चतुरा मनुख हवंय
चाहे कतको धनवंता !
कतको धरमी-करमी चाहे
अउ कतको गुनवंता !
कतको रचना रचिन भले
अउ धरिन बड़े कइ बाना
इहें हवय निसतार जमो के
का कर सरग ठिकाना !
अखमुंदा भागत हें मनो
पन-पंछी अकुलावत हें !
गाँव रहे ले दुनिया रइही
पाँव रहे ले पनही
आँखी समुहें सबो सिराये
ले पाछू का बनही !
दया मया के ठाँव उजरही
घमहा मन के छइहाँ
निराधार के ढेखरा* कोलवालुलूवा मन के बइंहाँ !नवा जमाना लगो लउहा*जरई अपन जमावत हें ।हें।
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