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और मलो / डी. एम. मिश्र

458 bytes added, 08:49, 1 जनवरी 2017
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और मलो
और मलो
जितना मलोगे
रोशनी और साफ होगी
रोशनी एक रंग
या एक
तीव्रता की हो
कहाँ संभव
जो घट-बढ़ न सके
या केवल
दूधिया रहे
 
यदि रोशनी
एक रंग की होती
तेा अन्धेरा भी
तरह - तरह का न होता
</poem>
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