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केनोपनिषद / मृदुल कीर्ति
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19:42, 4 मई 2008
नेत्र , श्रोत्रम, प्राण , वाणी , बल इन्द्रियों में महान हों।<br>
उपनिषदों में प्रतिपाद्य ब्रह्म से, गहन मम सम्बन्ध हों,<br>
हो त्रिविध तापों की
निवृति
निवृत्ति
, परब्रह्म
तत्व
तत्त्व
प्रबंध हों॥<br><br>
</span>
अनिल जनविजय
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