{{KKCatGhazal}}
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अपना है मगर अपनो अपनों सी इज़्ज़त नहीं देता
उड़ता हुआ बादल कभी राहत नहीं देता।
मेरी भी ख़्वाहिशें हैं कि छू लूँ मैं आसमान
टूटा हुआ पर उड़ने की त़ाक़त ताक़त नही देता।
बेवजह वो रखता है सदा ख्सु द ख़ुद को नुमायॉनुमायाँमक्का र मक्कार किसी और को अजमत नहीं देता।
करिये मदद ग़रीब की दिल खोलकर जनाब