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मींधू हा सब भेद खोल दिस -”मंय हा जहर रखे हंव साथएला जल तिर मं मेल दुहूं तंह – पटपट मर जाहंय सब जीव।सच बिखेद मिठई हे थोरिक, ओला खाय छबलू ला मींधू फोरिसदीसछबलू मार गफेला खावत, तंह पर ला कुटका तक नइ दीस।पिनकू हा छोड़िस सोगमरते दम मींधू ला दोहनतबोलिस -”छबलू ला पटाय हस घूंसशुभ मुहूर्त के कारण मिलिहय, ओहर हवय घलो ए जोग।तोला अवस शासकीय काम”।सब झन हंसिन खलखला तंहने पिनकू छरिस -”काय पाते तंय मनखे नापिस रस्ता।आगू तन के कर हत्या।दृष्य देख के रहिगे हक्का बक्का।काकर बुध ला मान चलत हस खोल मोर तिर सत्तम।लगे चुनू के हाथ मं बेली, दू आरक्षक ओकर साथमींधू हंफरत हलू निकालिस पिनकू पूछिस -”तंय जानत हस जीवन मोर”दंग होत हंव, तोर अभी के हालत देख।मंय हा शिक्षित पढ़े युवक अंवककरो ऊपर दुख आथय तब, करथस मदद हड़बड़ा दौड़कभू गलत रद्दा नइ रेंगस, देत नियम कानून ला साथ।मगर काम बिन किंजरत खोर।आज का जुरुम करे हस, लगे हवय का धारा ठोसइही बीच मं एक विदेशीआखिर काय बात ए वाजिब, मोर पास पहुंचिस चुपचापअपन समझ के फुरिया साफ?”ओहर बोलिस कलपिस चुनू “मंय “नेक मनखे हा हरिहंव, तोर जतिक अस दुख संताप।अपन ला बोलत निश्छल नेकमंय तोला रुपिया देवत हंव, ओकर पर तंय उठा एक ठक कामपानी मं विष मिला बेहिचकयकीन नइ होवय, रखिहंव गुप्त तोर जे नाम।”दुश्चरित्र के लगथय दाग।मंय घोखेंव -”चहत तइसे निरपराध हंव मंय हा , पर प्रमाण बर मुश्किल होतमगर तोर ले अतका मांगत बढ़िया शासकीय पद एकमोर व्यथा पर कर विश्वास।यदि मोला रुपिया मिल जाहयखोरबहरा के हत्या होगिस, तंहने पटा दुहूं फट घूंस।दूसर व्यक्ति करिस अपराधफिर नौकरी तो खत्तम मिलिहयपर अधिनियम हा मोला धांधत, भरभर बर जाहय दुख फूसमोर मुड़ी पर डारत दोष।आय विदेशी तेकर मानों“तीन सौ दो’ धारा हा पकड़त, तभे लक्ष्य आहय खुद दौड़।”तब हथकड़ी लगे हे हाथरुपिया ला गिन दीस विदेशीमोर खिलाफ दर्ज हे प्रकरण, बढ़िस बिकट लालच के रोगन्यायालय मं मोर बलाव।ओकर बात मान के मंय अभिअब तक विश्वास रखे हंव, काम अनर्थ करत बिन सोग।”जब वास्तव मं मंय निर्दाेषमोला दण्ड मिलन नइ पावय, छेल्ला घुमिहंव इज्जत साथ”।पिनकू बोलिस – “अर्थ पाय -”निरदोसी हस, ओकर ले मोला नइ अर्थयदि तंय दण्ड मुक्त हो जातबता विदेशी के छैंहा तंय हा दूध भात लाखाबे, वरना भगा जहय ठंव छोड़”।हमर हृदय के खिलही फूल।मींधू हा स्वीकार करत नइपर तंय धोखा मं झन रहिबे, ओहर फंसे कड़क दू ओरसावधान रहिबे हर टेमखाई कुआं दुनों जब संघराअपन ला सुरक्षित राखे बर, कते कते तन लेगय गोड़।पहिलिच ले प्रबंध कर लेव।”आखिर मींधू हुंकी ला भर दिस तभे अै न सुखमा अउ नीयत, ओकर साथ एक ठन भैंससुखमा पूछिस -”पहिचानत हव “बने के बिगड़य भावी मोरएहर आय सुंदरिया भैंस?”कहां विदेशी चुप बइठे हे चुनू अपन विपदा ला भूलिस, कहिथय चल बतात हंव ओकर धाम”।“मंय हा जानत खूबदूनों झन थाना एहर दुर्घटना मं चल दिनघायल, उहां हे अगमा थानेदारअब तब छुटतिस एकर प्रान।जहां शत्रु बपरी के भेद ला खोलिनउपचार करे बर, अगमा के नटिया गे आंख।थानेदार चटापट दउड़िस, आरक्षक दल तोर पास हम धर के साथगेनजहां लुका अब भैंसी के हवय विदेशीतबियत उत्तम, उंहचे दबिस दीन तत्काल।घोसघोस ले मोटाय हे देह।”खतरा देखिस जहां विदेशीसुखमा बोलिस -”तुम्हरे कारन, खसके बर होवत हुसियारलेकिन ओहर तरक सकिस नइ, नरी ला धरलिस थानेदार।जब कमरा के जांच बपरी हा होइस, मिलिस उहां पर नोट अपारजीयत हे आजगांव देश बिगर पुछन्ता के नक्शा मिलथययदि होतिस, एक सेक घातक हथियार।खुरच खुरच के देतिस जान।”अगमा पिनकू हा खखुवा के पूछिस सुखमा ला बोलिस -”तंय हा इहां आय हस कारकरे हमर तारीफमींधू ला चलवात कुरद्दाओकर ले हम गदगद होवत, अपन भेद ला सच सच खोल?”“मंय ए देश आय एकर बर मगर चुनू के दुर्गति देख भारत देश मचय खुरखेद।शासन मरत रथय के विरोध जे करथयजीव बचाथय, जे अशांत द्रोहिल कंगालअउ असहाय के टेकनी आयओला हम बनात आतंकीखुद हा निरपराध हे तब ले, ओकर मदद करत हर हाल।फंसगे हत्या के अपराध।”आंतकी मन हमर मानथंय, तोड़ फोड़ कर लेथंय जानसुखमा बोलिस – “दंग होत हंव – वाकई होय गलत अनियावइही समस्या ले निपटे बरजे मनसे ईनाम ला पातिस, भारत देश ओला कार मिलत हे दण्ड!पर मोला विश्वास अभी तक – चुनू करे हे हित के जाथय जान।कामवाजिब उन्नति होन पाय नइ, अधर ओकर फल मं लटकत जमों विकासअच्छा मिलिहय, सब प्रकरण हो जही समाप्त।”तंहने भारत देश हा होथयसब झन अपन राह पर रेंगिन, अन्य देश के आर्थिक दास”।पिनकू हा सुन्तापुर गांवअगमा ओला जहां सनम हा खखुवा मिलथय, पूछत हवय गांव के बोलिस -”चल संग मनुखमार जासूसहाल –थाना “खूंटा गाड़ गांव मं फिर अउ बोकराहंवरहिथस, मरते दोंगर रहस्य तब तंंय समाचार ला पूछ”।बोलपिनकू अउ मींधू ला बोलिस – “तुम पकड़ाय शत्रु ला आजतुम्मन हव तारीफ तोर ददा के काबिलतबियत कइसे, होत हवय भारत ओकर हालत ला नाज।सच खोल?”मानव सनम किहिस – “मंय दुख का रोवंव, दुख हा आवत धर के हित करय जउन हारेमसुख ला हांका पार बलावत, हम चाहत हिम्मती जवानपर आखिर होगेंव बर्बाद –मुड़ हा ऊपर होत गरब मंकेकती नामक गाय रिहिस हे, तुम्मन देशभक्त इंसान”।उही गाय गाभिन हो गीसथानेदार ओला देख ददा ला पिनकू बोलिस -”जनता फूलय, केकती के जीवन बच गीसकंस जतन बजाय।ओमां मोर हाथ नइ थोरकोबोलय -”गाय बियाही तंहने, बस मींधू भर करिस कमाल।एहर अपन साथ मं लेगिस, याने बना सहायक देहय दूध कसेली एकबरदी के चरवहा हा रखथय, मदद करे मोर गली नाती बर टेचा एक”।बढ़िया – पिही पेट भर मिट्ठी दूध।थानेदार विदेशी मन गिन ओ तिर छोड़ के थाना।हम्मन खाबो खीर सोंहारी, तब ले बचिहय कतको दूधमींधू पिनकू काबर रुकतिन परगे पांव बढ़ाना।ओकर दही मही बन जाहय, तंहने हेर सकत हन घीव।“मंय हतियारा लालच पर दुर्घटना इही बीच मं पर, जोंगे रेहेंव क्रूर के कामकेकती ला बघवा धर लीसलेकिन तंय जहां ददा हा बीच मं आकेखभर ला अमरिस, छेंक देस होवत अनियाव।गाय पास पहुंचिस तत्काल।अउ उपरहा मोर रक्षा बर, करत प्रशंसा रख शेर हा गाय ला धरे जम्हड़ के तर्कवाकई तोर मोर मं अंतर, अमृत विष मं जतका फर्क”।पीयत हवय सपासप खूनमींधू ओला जहां ददा हा धथुवा के बोलिसदेखिस, तंह पिनकू हा पारिस बेंग-एकर घलो उबलगे खून।“मोला चढ़ा अकास झनिच तंयअपन शक्ति भर लउठी तानिस, झन शेर ला मारत हेरत दांवकतका मार शेर हा खावय, ददा उपर कूदिस कर अभिच प्रशंसा नेंग।हांव।वरना तोला फंसा दुहूं मंय – तंय हड़पे हस नंगत नोटशेर ले मनसे के कम ताकत, बघवा लीस ददा के जीवओकर भेद खोलिहंव सब ठंवपहिली बच नइ पाइस, तंहने फइल जहय हर ओंठ।गाभिन गाय के तलफत जान।”तोर राह पिनकू हा ठीक दुख मान के गल्ती, अपन कर्म कहिथय – “वन के चहत हियावपास करत हम वासबइसाखू व्याख्याता तिर चलहोत हमर बर अति दुख दायक, उही हा करही सही नियाव।जीयत जीव बनत हे लाश।साहित्य क्षेत्र मं आय समीक्षकवन्य जीव मन नंगत बाढ़त, लेख सुधारत करके वारएकर ले खतरा बढ़ गीसपर यथार्थ घटना जे घट गिसफसल मनुष्य अउ पशु ला मारत, ओकर पर का रखत विचार?”निर्भय किंजरत उठा के शीश।एमन बइसाखू तिर पहुंचिनलकड़ी कटई बंद हे कड़कड़, मिलगे उंहचे बालक एकर्इंधन बर लकड़ी नइ पातबइसाखू वन के पुत्र ए छबलूपास बसत हन हम्मन, ओकर गाल चिकोटी देत।मात्र पेड़ देखत रहि जात।एमन फोरिन पूर्व पर्यावरण के घटनारक्षा खातिर, बइसाखू व्याख्याता पासखूब उपाय करय सरकारबइसाखू हा बात समझ केमगर हमर तकलीफ ला देखय, सोचत देखिस ऊपर अकाश।वरना वन तिर रहई बेकार।”मींधू पर ललिया कहिथय सनम -”एक ठन अउ सुन – दुखिया अउ गरीबा के भड़किस – “तोर काम ले आवत शर्महालककरो प्रान ला जबरन छिननादुनों एक संग जीवन काटत, कहां आय मानव रेंगत गली उठा के धर्म!भाल।मगर अंकालू ला खुशी ए बात के होवत – जग मं बांच गीन निर्दाेषअब ले ठीक चाल रेंगे करनइ पाइस, सदा रखे कर कायम होश।मृत्यु लेग गिस करके टेक।गलत काम कर नोट पाय हवलदार ला तंय जानत हस, याने करे हवस अपराध– गिरिस कुआं मं भर्रस जेनपर मंय तोला क्षमा देत हंवओकर खूब इलाज चलिस हे, अब पूरा कर खुद के साध।सांप के विष जीवन ला हरथय, कांटा हा गड़ सुख हर लेतपर कांटा बन गीस काल ले कांटा निकलत, विष औषधि बन जीवन देत।ग्रास।घूंस खवा के झटक नौकरीपोखन खड़ऊ मं चढ़के रेंगिस, अउ जनता के कर उपकारओला जिमिस धनुष टंकोरशोषक द्रोहिल ले टक्कर कर, तब निवृत्ति दोष घटना के भार”।संबंध मं होवत – अटपट बात गली घर खोर।मींधू बोलिस मनसे मन चुप चुप गोठियावत “तंय बफले हस, बुरा लगिस पर मिलही लाभदेवारी हा आगिस पासव्यासी बखत धान मुरझाथयटोनही मन के जिव करलावत, मगर बाद उमछावत तान”।तभे पांच झन बनगे लाश।
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