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{{KKRachna
|रचनाकार=योगेंद्र कृष्णा
|संग्रह=कविता के विरुद्ध / योगेंद्र कृष्णा
}}
<poem>
इतना भी आसान नहीं
कचरे से जीने का
कुछ सामान निकल पाना

और इस तरह
सभ्य आदमी कुत्तों और गिद्धों
की दृष्टि से बच कर निकल जाना

कितना कठिन है
हरियाली के भीतर छुपे
सांप बिच्छुओं को समझाना

इससे भी कठिन है
लेकिन...
भूख से सुलह कर पाना