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...के नाम / अलेक्सान्दर पूश्किन
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16:19, 2 फ़रवरी 2017
मधुर रूप सपनों में आया।
बीते वर्ष,
बवंडर
बवण्डर
आए
हुए तिरोहित स्वप्न सुहाने,
किसि परि
किसी परी
-सा रुप तुम्हारा
भूला वाणी, स्वर पहचाने।
पलक आत्मा ने फिर खोली
फिर तुम मेरे
सम्मखु
सम्मुख
आईं,
निर्मल, निश्छल रूप छटा-सी
मानो उड़ती-सी परछाईं।
अनिल जनविजय
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