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<poem>
हम भी दिल रखते हैं सीने में जिगर रखते हैं,
इश्क़-ओ-सौदाय वतन रखते हैं, सर रखते हैं ।हैं।
माना यह ज़ोर ही रखते हैं न ज़र रखते हैं,
बलबला जोश-ए-मोहब्बत का मगर रखते हैं ।हैं।
कंगूरा अर्श का आहों से हिला सकते हैं,
ख़ाक में गुम्बदे-गरर्दू को मिला सकते हैं ।।हैं॥
शैक़ जिनको हो सताने का, सताए आएँ;
रू-ब-रू आके हों, यों मुँह न छिपाए, आएँ ।आएँ।
देख लें मेरी वफ़ा आएँ, जफ़ाएँ आएँ,
दौड़कर लूँगा बलाएँ मैं बलाए आएँ ।आएँ।
दिल वह दिल ही नहीं जिसमें कि भरा दर्द नहीं,
सख्तियाँ सब्र से झेले न जो वह मर्द नहीं ।।नहीं॥
कैसे हैं पर किसी लेली के गिरिफ़्तार नहीं,
कोहकन है किसी शीरीं से सरोकार नहीं ।नहीं।
ऐसी बातों से हमें उन्स नहीं, प्यार नहीं,
हिज्र के वस्ल के क़िस्से हमें दरकार नहीं ।नहीं।
जान है उसकी पला जिससे यह तन अपना है,
दिल हमारा है बसा उसमें, वतन अपना है ।।है॥
यह वह गुल है कि गुलों का भी बकार इससे है,
चमन दहर में यक ताज़ा बहार इससे है ।है।
बुलबुले दिल को तसल्ली ओ’ करार इसके है,
बन रहा गुलचीं की नज़रों में य्ह खार इससे है।
चर्ख-कजबाज़ के हाथों से बुरा हाल न हो,
यह शिगुफ़्ता रहे हरदम, कभी पामाल न हो ।।हो॥
आरजू है कि उसे चश्मए ज़र से सींचे,
बन पड़े गर तो उसे आवे-गुहर से सींचे ।सींचे।
आवे हैवां न मिले दीदये तर से सींचे,
आ पड़े वक़्त तो बस ख़ूने जिगर से सींचे ।सींचे।
हड्डियाँ रिज़्के हुमाँ बनके न बरबाद रहें,
घुल के मिट्टी में मिलें, खाद बने याद रहे ।।रहे॥
हम सितम लाख सहें शायर-ए-बेदाद रहें,
आहें थामे हुए रोके हुए फ़रियाद रहें ।रहें।
हम रहें या न रहें ऐसे रहें याद रहें,
इसकी परवाह है किसे शाद कि नाशाद रहें ।रहें।
हम उजड़ते हैं तो उजड़ें वतन आबाद रहे,
हो गिरिफ़्तार तो हों पर वतन आज़ाद रहे ।। रहे॥
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