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एक मोअ'म्मा है समझने का / फ़ानी बदायूनी
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02:14, 12 मई 2008
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=फ़ानी बदायूनी
|संग्रह=
}}
एक मोअ'म्मा है समझने का ना समझाने का<br>
ज़िन्दगी काहे को है ख़्वाब है दीवाने का<br><br>
Pratishtha
KKSahayogi,
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