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गळगचिया (2) / कन्हैया लाल सेठिया
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09:30, 4 मार्च 2017
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बायरो कयो - पींपळ रा पानड़ाँ, मैं आऊँ जणाँ ही थाँकै हताई हुवै कै?
पानड़ा बोल्या - पूठ पाछै बात करण री म्हारी आदत कोनी!
</poem>
आशीष पुरोहित
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