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गळगचिया (3) / कन्हैया लाल सेठिया
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09:32, 4 मार्च 2017
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पग कयो - कांटा, चुभ’र किस्यै जलम रो बैर काढयो?
कांटो बोल्यो - अरै खुरडा, मनैं ही गिट’र मनैं ही डंडै है के?
</poem>
आशीष पुरोहित
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