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गळगचिया (25) / कन्हैया लाल सेठिया
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08:10, 17 मार्च 2017
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बन्दूक उठा'र दाग दी बापड़ो पंखेरू तड़फड़ा र नीचै आ पडयो लोग कयो किस्यों क हुँस्यार ठाईदार है ?
दूसरै दिन घड़ी री चाळ बन्द हू र ठाईदार मरग्यो लोग कयों मौत किसी क निरदई है ?
</poem>
आशीष पुरोहित
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